


हाल ही में केरल में ब्रेन-ईटिंग अमीबा से संक्रमण के चलते 19 मौतें दर्ज की गई हैं। यह आंकड़ा चौंकाने वाला है क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार दुनियाभर में इस दुर्लभ बीमारी के अब तक 500 से भी कम मामले सामने आए हैं। इनमें से अकेले 120 केस केवल केरल से दर्ज हुए हैं। यहाँ अमीबा का खतरा लगातार बढ़ रहा है। चिंता की बात यह है कि इस बीमारी का अभी तक कोई निश्चित इलाज या वैक्सीन उपलब्ध नहीं है।
यह अमीबा गंदे और गर्म मीठे पानी में पनपता है। नहाते या तैरते समय यह नाक के ज़रिए शरीर में प्रवेश करता है और सीधे दिमाग तक पहुँच सकता है। सबसे अधिक खतरा बच्चों और युवाओं को होता है क्योंकि वे तालाबों, झीलों या स्विमिंग पूल में ज़्यादा तैराकी करते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग, जो खुले जलाशयों के पानी का इस्तेमाल नहाने या घरेलू कामों के लिए करते हैं, वे भी उच्च जोखिम में आते हैं। जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है, उन्हें संक्रमण तेजी से प्रभावित करता है। यही कारण है कि इस बीमारी से बचाव और जागरूकता बेहद ज़रूरी है।
केरल में खतरा क्यों बढ़ रहा है?
केरल में ब्रेन-ईटिंग अमीबा के इतने अधिक मामले सामने आने की एक अहम वजह वहाँ की गर्म जलवायु हो सकती है। लगातार बारिश और उसके बाद बनने वाले छोटे तालाब इस अमीबा के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करते हैं। कई इलाकों में लोग रोज़मर्रा की ज़रूरतों के लिए तालाब और झीलों का पानी इस्तेमाल करते हैं, जिससे संक्रमण का खतरा और बढ़ जाता है। वहीं शहरी इलाकों में स्विमिंग पूल की सही तरह से सफाई न होने पर भी यह संक्रमण फैल सकता है। यह बीमारी बेहद तेजी से असर दिखाती है और संक्रमण दिमाग तक पहुँचते ही घातक हो जाती है।